Monday, 28 October 2013

 आज देख लूँ तुम्हे जी भरके 
कल रूमानी तबियत हो न हो 
झील सी आँखों वाली सुनो 

Sunday, 27 October 2013

देख रही हूँ , नववधू ब्लॉग यदि पुराना लिखा नही होगा तो, समझो मेरे पास कुछ भी नि है 
मई कुछ भी कॉपी नही कर रही हूँ 
तुमसे  दूर रहकर 
उदाश रहता है दिल 
तुम साथ न दो 
तो, हो जाती है ,
मुश्किल 
बहुत  दिन हुए 
नही हुयी थी 
तुमसे कोई बात 
यंही सोचते हुए बीत गयी थी 
कल की रात 

tum jo bhi ho


तुम जो भी हो 
ये समझ लेना 
जिंदगी नही होती 
तुमसे अलग 
जिंदगी नही थी 
कभी तेरे आने के पहले 
न होगी 
तेरे जाने के बाद 

rahbar

गंगा तट पर 
चलते हुए 
तुम्हारे पद चिन्हों को 
सहेज लिया है ,मैंने 
उस राह्पर 
उस रह से 
किसी को 
गुजर जाने नही दिया 
हमने 

Thursday, 24 October 2013

sahra sahra

सहरा
सहरा सहरा फुल खिले है 
जब भी प्यार में 
दो दिल मिले है 

अभी लिखी ये कविता 

pyar ki umr

प्यार की उम्र का  वो दौर 
जब न जिया जाता है 
न ही मर सकते है 
बीएस एक जगह ठहरा सा 
जमा हुवा अहसास होता है जो, 
जो, तमाम उम्र साथ चलता है 

vo, surmai andhra

वो  आसमान  में चमकते सितारे 
वो , सुरमई  अँधेरे 
झिलमिलाते तारों के उजारे 
कुछ कहती हुयी 
गुनगुनाती हुई 
गुजरती जाती रात 
इसे में , अचानक हो गयी 
बिच में बावली बरसात 
आधी  रत की निश्त्ब्धता में 
गूंजता पपीहे का राग 
दिल में अधूरी रह गयी 
कोई, भूली बिसरी साध 
रह जाती है 
जाने किस कोने में सिमटी 
सखी सहेलियों की 
हंसी -ठिठोली की बात 
जाने कन्हा खो जाते है , स्वप्न 
और छुट जाते है 
साथ चलते चलते हाथ 
खो जायेंगे हम कंही तो 
रखना तुम हमको याद 

Monday, 21 October 2013

kuchh jlnshil tatv

कुछ लोग जलनशील होते है
यदि वो किसीको, जरा सा भी
संतुस्ट देखते है
तो, उनके मन को दुःख होता है 

Sunday, 20 October 2013

sadhya-snata

स्ध्यस्नाता 
रूप तुम्हारा 
जैसे क्षीर सागर का 
फेनिला ज्वार 
जैसे सर्दी का नया नया 
माह , क्वांर 
जैसे चांदी  के कलश 
पर दूध के छींटे 

Saturday, 19 October 2013

kavita likhe bin

कविता लिखे बिना 
नही मिलेगी मुक्ति 

kuchh tere rup ka tikhapan

कुछ कुछ 
कुछ तेरे रूप का तीखा-पन 
कुछ तेरे मिजाज की गर्माहट 
तेवर तेरे तेज तेज 
लगते है , चंद्रमुखी 
जब भी दिखती हो 
नाराज सी लगती हो 
न पहली सी बोली 
न वो हंसी ठिठोली 
लगता है , तुझे गुस्से में देख 
कि , मेरे कलेजे में लग गयी है  गोली 
(गोली , means  बन्दुक की 
वो फालतू नही सोचे )

pahle to email glt likhi

 आज तो कविता नही लिखूंगी 
सर में बहुत दर्द है 
और बुखार भी है 

thik nhi swasthay

आज बिलकुल ठीक नही लग रहा
नही पता क्यों नाराज रहती है 
थक गयी 
पहले तो ब्लॉग ही नही मिला 
जब मिला, तो कोई कविता 
लिखने का मन नही 

pahle to pc nhi chala

मूड ऑफ़ हो गया 
पहले तो pc  नही चला 
क्या खाक कविता करती 

Thursday, 17 October 2013

thanks

जो, आज तुमने उपहार दिया 
ये जो प्यार दिया  सोनू के जीवन में 
नई उमंग बनके समा जाओ 
तुम्हारे आने से 
बहारें  आई है 
रीतों ने ली 
अंगड़ाई है 
सोनू, रीते ह्रदय से 
देखा करता ह चंद्रमा 
जल्दी में क्या लिखू 
उसके सुने जीवन की तुम ही हो 
चंद्रज्योत्सना  

Saturday, 12 October 2013

dil kyon dhadkta h

kisi ne likha tha
puchha tha
ki, 
ye dil kyon dhadkta h
ye dil kyon dhadkta h
dil kyon dhadkta h
iska jwab mile
to, samajhna
sabkuchh jan liya

Friday, 4 October 2013

jb bhi socho, to

jb bhi socho, to
ynhi sochna
ki hr vqt nye git likhu
nye git gungunau
kabhi knhi
thak ke 
ruk na jaun

Thursday, 3 October 2013

jindagi me honge, sach sapne

jindagi me jb awasar milega to
mai selulide pr nava-vadhu ko
sakar krungi
ye bahut h, achchi film hogi

Wednesday, 2 October 2013

nav vadhu: jb tu lahra kr

nav vadhu: jb tu lahra kr: jb tu lahra kr jb jb tu lahrakr,  bl khakr ghar me aati to kaise na basant ata jb tu achkcha kr muskrakr chunar lahrati to kaise n...

jb tu lahra kr

jb tu lahra kr
jb
jb tu lahrakr, 
bl khakr
ghar me aati to
kaise na basant ata
jb tu achkcha kr
muskrakr
chunar lahrati to
kaise na basant ata
jb tu vihansti aankhon se
ras brsati to
kaise na basant ata
jb tu ljakr
tirchhi chitvan se bulati to
kaise na basant ata

but who is, this basant

Tuesday, 1 October 2013

ivan ke prati

jivan ke prati
neh jgati
tum mujhe
ese mil jati
jaise sneh bhari 
saras prem pati

jb vo

jb vo apni
nnhi hatheliyon me
tera anchal khinchega
tb, uski
masum athkheliyon me
mera dular dikhega

nurag bhra

priye, anurag bhara
snigdh rup tumhara
lgta hai jaise
kisi ne
dahi ka sagar 
math dala

mukhda tera

mukhda tera
chandani se dhoya huwa
lgta h, ese, mano
dahi ho, biloya huwa