Friday 20 December 2013

ये
ये 
ये ये 
ये रसभीनी बैटन वाली 
बातों वाली 
ये मदमस्त निगाहों वाली 
बिखरने लगी है 
तेरे अधरों व् कपोलों पर लाली 
कि, जिन्हे देखकर 
देखनेवालों की 
नज़रें भी हो गयी है 
मतवाली 
ये लजीली चितवन वाली 
भली लगती है 
तेरे अधरों कि लाली 
ये गुलाबी कपोलों वाली 
ये मधुर बोलो वाली 
जब तू शर्मा के मुस्कराती है 
तो, कौन तेरे गोर गोर 
गोरे गोर गलों पर 
गुलाल मलता है 
आजकल, तो तुझपर कविता करने का ही रातदिन मन करता है 

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