Saturday, 21 November 2015

आश्चर्य ये है, की नववधू की रीडिंग १७ नवंबर को हुई है आजकल 
मैंने नही लिखा है, इसे ,किन्तु,जो पुराण है, वो बहुत पाया लिखा है 

Friday, 31 July 2015

Sunday, 3 May 2015

प्रिय निशु 
तुम पर अभी कविता नही 
किन्तु, ये खत है तुम्हारे नाम 
कि , वो, तुम हो जिसने 
अपनी लड़ाई लड़ी , भी और जीत भी ली 
इसी तरह से 
अपने आप से 
प्यार करते रहना 
मेरी ढेर सारी शुभकामनायें 
खुश रहो 

Monday, 27 April 2015

प्रीती
प्रीती होती है , निभाने के लिए 
अफ़साने होते है , सुनाने के लिए 
गीत होते है।,गुनगुनाने के लिए 
और, रूठी हुई, प्रेयशी होती है 
प्यार से मनाने के लिए। ........

Saturday, 14 February 2015


बुआजी के घर की यादें  आज भी आती है 
वो, बिदाई गीत गाती थी 
हमारी जाती के बिदाई गीत , कलार समाज के सबके अपने 
बिदाई गीत, जिनका अर्थ एक ही होता था 
हम पर्देशिन , परदेशिन 
हम परदेशिन माई , पाहुनिन ओ 
हम चली , माई हम चली , हम चली परदेश 
छोटे से मुँह की माई , घायलि 
मोरी, माई पनिया भरण को जाए 
कहां जुड़बो, साथ 
मायके में जुड़ाबो साथ,
(मुझे वो, गीत याद नही , बीएस २ -४ प्नतियां भर याद रही 
काश वो, गीत संजोती, बहुत प्यारे गीत थे जणवा-कुसुम में लिखे भी है 
कुछ गीत, मैंने 
इसमें ,
हम पर्देशिन, माई पहोनिन ओ ,
ये बहुत भावभीना गीत होता था )