जब किसी के प्रति ये हो कि
उसे देखे बिना आप को ठीक न लगे
हमेशा लगे कि
उससे बात करनी है पर वो आपसे बात न करे
इन्ही नही उसकी सूरत देखे बिन
दिन की शुरुआत न हो
फिरभी चेहरा सामने नही हो तब, आप उसे सिर्फ तब्बसुम में
पाएंगे , लेकिन कब तक
उसे देखे बिना आप को ठीक न लगे
हमेशा लगे कि
उससे बात करनी है पर वो आपसे बात न करे
इन्ही नही उसकी सूरत देखे बिन
दिन की शुरुआत न हो
फिरभी चेहरा सामने नही हो तब, आप उसे सिर्फ तब्बसुम में
पाएंगे , लेकिन कब तक