Sunday 28 February 2016

 आज अचानक ३ रीडिंग हुई है, नववधू की
ये किसी नववधू पर नही है
पर हाँ किसी नई नवेली पर लिखा है इसमें
किन्तु आजकल, सूझता ही नही कि क्या लिखूं
कभी किसी को बहलाने लिखा जैसे
सच तो ये है कि
मन कभी किसी का पुराना  नहीं होता
पर मन एकरसता से ऊब जाता है
जब  एक ही बात किसी पर लड़ते है तब बी मेरा मतलब लादते है तो
और मन इतना बेईमान है कि इसे सम्भालना अच्चन अच्छों के बश में नही है हम हमेशा
परेशान होते है, मन कंही लगता नही
और अपने मनके दोगलेपन को किस्से कहे
मन हमेशा हमारी तरफदारी नही करता
इसीलिए इसे समझने , व् सँभालने हम क्या क्या करते रहते है
सच मन को बस  भी एक समस्या है
नववधू हर कोई हर लड़की है सभी का मन नया नवेला होना और रहना चाहता है पर
हमारे मन की परवाह करे, ऐसा कोई एक बहुत मुस्किल
और तक़दीर से मिलता है 

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