Tuesday 24 January 2017
nav vadhu: aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल ...
nav vadhu: aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल ...: aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल बैठे देखि वो उठ नही सकती थी पास में गोबर पड़ा था मई घर गयी और ढेर सारा भात ले आयी ...
nav vadhu: aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल ...
nav vadhu: aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल ...: aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल बैठे देखि वो उठ नही सकती थी पास में गोबर पड़ा था मई घर गयी और ढेर सारा भात ले आयी ...
nav vadhu: aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल ...
nav vadhu: aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल ...: aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल बैठे देखि वो उठ नही सकती थी पास में गोबर पड़ा था मई घर गयी और ढेर सारा भात ले आयी ...
nav vadhu: aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल ...
nav vadhu: aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल ...: aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल बैठे देखि वो उठ नही सकती थी पास में गोबर पड़ा था मई घर गयी और ढेर सारा भात ले आयी ...
nav vadhu: aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल ...
nav vadhu: aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल ...: aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल बैठे देखि वो उठ नही सकती थी पास में गोबर पड़ा था मई घर गयी और ढेर सारा भात ले आयी ...
aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल बैठे देखि
वो उठ नही सकती थी
पास में गोबर पड़ा था
मई घर गयी और
ढेर सारा भात ले आयी
मंगोड़े भी , और पानी भी
वो गौ वन्ही थी
मख्खियां भीं भिनभिना रही थी
सब अपनी रौ में बहे जा रहे थे
मैंने जब उस गौ को भात व् मंगोड़े दिए , तो
उसने खा लिए
पानी पिया
और उठने की कोशिश करने लगी
पर उसके पालक उसे देखने नही आये
उसे उसके हाल पर छोड़ गए
मुझे बहुत सुकून व् दिमाग में शांति-शीतलता महसूस हुई
जाने वो उठेगी या नही
बुआ जी के घर कई गौएँ अंतिम वक्त में
ऐसे ही बैठी रह जाती थी
और टिल टिल मरती हुई
मृत्यु की बात जोहती थी
काश. हमारे जिंदगी के भागते पलों में
कुछ लम्हे हम किसी भी दुखी जिव की मदद क्र पाए
तो, दिल को चैन मिले
वो उठ नही सकती थी
पास में गोबर पड़ा था
मई घर गयी और
ढेर सारा भात ले आयी
मंगोड़े भी , और पानी भी
वो गौ वन्ही थी
मख्खियां भीं भिनभिना रही थी
सब अपनी रौ में बहे जा रहे थे
मैंने जब उस गौ को भात व् मंगोड़े दिए , तो
उसने खा लिए
पानी पिया
और उठने की कोशिश करने लगी
पर उसके पालक उसे देखने नही आये
उसे उसके हाल पर छोड़ गए
मुझे बहुत सुकून व् दिमाग में शांति-शीतलता महसूस हुई
जाने वो उठेगी या नही
बुआ जी के घर कई गौएँ अंतिम वक्त में
ऐसे ही बैठी रह जाती थी
और टिल टिल मरती हुई
मृत्यु की बात जोहती थी
काश. हमारे जिंदगी के भागते पलों में
कुछ लम्हे हम किसी भी दुखी जिव की मदद क्र पाए
तो, दिल को चैन मिले
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