Tuesday, 24 January 2017

aaj आज मोती तालाब के पास एक गौ माँ को बहुत दुर्बल बैठे देखि 
वो उठ नही सकती थी 
पास में गोबर पड़ा था 
मई घर गयी और 
ढेर सारा भात ले आयी 
मंगोड़े भी , और पानी भी 
वो गौ वन्ही थी 
मख्खियां भीं भिनभिना रही थी 
सब अपनी रौ में बहे जा रहे थे 
मैंने जब उस गौ को भात व् मंगोड़े दिए , तो 
उसने खा लिए 
पानी पिया 
और उठने की कोशिश करने लगी 
पर उसके पालक उसे देखने नही आये 
उसे उसके हाल पर छोड़ गए 
मुझे बहुत सुकून व् दिमाग में शांति-शीतलता महसूस हुई 
जाने वो उठेगी या नही 
बुआ जी के घर कई गौएँ अंतिम वक्त में 
ऐसे ही बैठी रह जाती थी 
और टिल टिल मरती हुई 
मृत्यु की बात जोहती थी 
काश. हमारे जिंदगी के भागते पलों में 
कुछ लम्हे हम किसी भी दुखी जिव की मदद क्र पाए 
तो, दिल को चैन मिले 

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