Wednesday 21 December 2011

nav vadhu

मधुर मधुर म्रदु हास लिए
नव यौवन का मधुमास लिए
उर में मीठी प्यास लिए
तुम आई आंगन में उजास लिए

उजले रूप का अभिमान लिए
कुलवधू का सम्मान लिए
निश्छल कोमल मुस्कान लिए
सकुचाया सा मान लिए

जोग ने अज लिखी ये कविता बरसों बाद