Monday 10 December 2012

vo rangoli bnane wali, ldki

वो लडकी रंगोली बनाती मुझे दिखी , मै उसे तब देखते रह गयी।मुझे उसे देखकर सबसे पहला ख्याल यंही कौंधा की, वो रंगोली बनाती  लडकी मेरे बेटे के लिए बहुत ही उपयुक्त जीवन-संगिनी हो सकती है .मेरे विचारों के साथ मै  अपने पुत्र को उसके साथ ही देखने लगी . य्न्हात्क की उसकी आदतें भी मेरे बेटे की तरह सात्विक व् त्यागपूर्ण ही लगी .ये देखकर मुझे बेहद संतोष होता था ,की वो बहुत ही सुघर ललना है .
मै यंही सोचकर चल रही थी, की मेरा बीटा जरुर उसे ही मानेगा .किन्तु मेरे भाग्य का पाशा यंहा भी उल्टा ही पड़ा . बेटे ने विवाह से 10-15 बरस तक मना कर दिया .इसके साथ ही मेरे स्वप्न धराशयी हो गये .मेरे पास जीवन का जो स्त्रोत अनायास ही हाथ लगा था, वो छीन गया, वो भी मेरे बेटे के उस दुराग्रह से, की उसने उस बाला को, मेरे अतीत के किसी बेहद दुखद पड़ाव से अनजाने ही जोड़ लिया .
मै एक अपराध बोध से घिर गयी, मुझे ये सोचकर बहुत पीड़ा हुई की, मैंने उस बाला को एक बेबाक ख्वाब दिखाया ,जो की पूरा होते नही दीखता।अपने बेटे के सुखी संसार का स्वप्न भी जैसे मेरे जीते जी मुझे पूरा होते नही दिखा .मै इस उलझन पूर्ण हालत से जब रूबरू हुई तो, अस्य्न्ख तनावों ने मुझे घेर लिया।
आज यंही चाहती हु, की उस बाला की कंही अच्छे घर में गृहस्थी हो, किन्तु जो कसक मेरे मनमे होगी, वो इस जीवन में बनी रहेगी, जीवन पर्यन्त मुझे ये बात कचोटती रहेगी, और, ये दुःख मेरा निजी क्षति होगा।
किन्तु खुसी के पल भी होंगे,यदि मै उस लडकी का बसा घर संसार देख  .

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