कविता - ये किसकी यादों ने अंगडाई ली
ये किसकी यादों ने
ली, दिलों में अंगडाई , कि
तुम्हारी आँखों से
झलक पड़ा है , यौवन
गुनगुना उठी है, धूप
महकने लगे है , वन-उपवन
ये किसकी परछाई
कसमसाई , नैनों की झील में
ये किसके अधरों ने किया है
आलिंगन का अनुवाद
जोगेश्वरी सधीर
ये किसकी यादों ने
ली, दिलों में अंगडाई , कि
तुम्हारी आँखों से
झलक पड़ा है , यौवन
गुनगुना उठी है, धूप
महकने लगे है , वन-उपवन
ये किसकी परछाई
कसमसाई , नैनों की झील में
ये किसके अधरों ने किया है
आलिंगन का अनुवाद
जोगेश्वरी सधीर
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