Saturday 15 June 2013

vo लडकी जो
सुबह कमलिनी सी
खिल कर ,मुस्कराती थी
जो, अरमानों की रंगोली
सजाती  थी
वो लडकी जो घर को
ख्वाबों के फूलों से सजाती  थी
वो लडकी , जो दौड़ती भागती
मुझकों , मोड़ पर मिल जाती थी
जो, बैषाख की धूप  की तरह
खिलखिलाती थी
जिसकी यद् करते
साँझ और रात गुजर जाती थी
तितली की तरह उडती
वो लडकी कन्हा है
                          जोगेश्वरी 

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