Thursday 24 October 2013

vo, surmai andhra

वो  आसमान  में चमकते सितारे 
वो , सुरमई  अँधेरे 
झिलमिलाते तारों के उजारे 
कुछ कहती हुयी 
गुनगुनाती हुई 
गुजरती जाती रात 
इसे में , अचानक हो गयी 
बिच में बावली बरसात 
आधी  रत की निश्त्ब्धता में 
गूंजता पपीहे का राग 
दिल में अधूरी रह गयी 
कोई, भूली बिसरी साध 
रह जाती है 
जाने किस कोने में सिमटी 
सखी सहेलियों की 
हंसी -ठिठोली की बात 
जाने कन्हा खो जाते है , स्वप्न 
और छुट जाते है 
साथ चलते चलते हाथ 
खो जायेंगे हम कंही तो 
रखना तुम हमको याद 

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