Wednesday, 28 August 2013

fir chandani rat me

फिर चांदनी रात में
वन्ही तन्हाई होगी
वन्ही उबशियाँ होगी
डूबी होगी रात
अपने ही आगोश में
वन्ही अलमस्त
फिजायें होगी बदहवाश
बीएस, हम तुम
जुदा जुदा होंगे 

No comments:

Post a Comment