Saturday, 24 August 2013

fir chandni rat me fir

फिर चांदनी रात में
वन्ही तन्हाई होगी
वन्ही उबशियाँ होगी
डूबी होगी रात
अपने ही आगोश में
वन्ही अलमस्त
फिजायें होगी बदहवाश
बस हम तुम जुदा जुदा होंगे
कुछ भी तो
नही बदला होगा
पहले से अलग
२। …….
चांदनी ने लिखी होगी
तुम्हारे गोर मुख पर
जुदाई की बातें
आँखों की कोरों से
सब्नम की तरह
अनकहे , आंसू बह जाते 

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