Tuesday 28 January 2014

तुम न दूर हो 
न पास हो 
तुम न ख़ुशी हो 
न उदास हो 
तुम तो मेरे ह्रदय में 
उमड़ती प्यास हो 
मेरी कविता मेरे जीवन कि आस हो 
मेरी धड़कन 
मेरी साँस हो 

तुम वंहा मिलना 
जंहा नित नयी बहार हो ,
जंहा तुम्हारा सलोना रूप हो 
तुम्हारा सरस प्यार हो 
जंहा तुम्हारा नूतन सृंगार हो 
सिर्फ प्यार ही प्यार हो 
फूलों के हार हो 
प्रियतमा तुम , वंही मिलना 
क्योंकि , तुम तो 
मेरे जीवन में 
प्रकृति का अनुपम उपहार हो 

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