Friday 3 January 2014

 शोख 
 शोख 
ये तेरी शोख चंचल चितवन 
जिससे महका महका  है 
दिल का उपवन 

बहुत याद आ रहे है ये फूल 
दिल को मत जाना तुम भूल 
तुम खुद हो एक ताजमहल तो ताजमहल 
तो, ताजमहल क्यों बनाये 
दिल के अरमानों को 
संगमरमर में क्यों दफनाये 
क्यों करे याद कुछ बनाकर  
तुम्हे सलामत रहना है 
जीवनभर 

ये इतनी जल्दी क्या है 
अभी तो पूरी कविता लिखी ही नही 
अभी से पब्लिश करना है , क्या 

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