जब भी तुम सोती हो
बिछौने पर अलमस्त
अधरों पर अल्हड
उन्मादी मुस्कराहट लिए
सच, ऐसे सजीव दृश्य को
निरखकर तो,
फिर से जल उठते है
स्वत बुझे हुये दिये
सधीर
बिछौने पर अलमस्त
अधरों पर अल्हड
उन्मादी मुस्कराहट लिए
सच, ऐसे सजीव दृश्य को
निरखकर तो,
फिर से जल उठते है
स्वत बुझे हुये दिये
सधीर
No comments:
Post a Comment