Friday 27 December 2013

कोई भी
कोई भी बात हमेशा तो रस से भरी नही हो सकती 
एक ऐसा भी वक़त आता है कि कोई बात ही नही होती 
तब, आप ये न सोचे कि बाते ख़त्म हो गयी है 
ये समझे कि किसी नयी बात कि शुरुआत होने वाली है 

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