कविता
कविता
सारा दिन कविता लिखने कि कोशिश क्र रही हूँ
बस मेरी कविता पढ़के तुम सर मत पकड़ लेना
कविता है
सारा दिन तेज हवाए चलती है
पत्नी ने कहा
सुनो जी , सारा दिन तेज हवाएं चलती है
इस पर पति ने झुंझला के कहा
इसमें भी क्या मेरी गलती है
पत्नी सोचती है
क्या यंही वो शख्श है
जो, शादी के पहले हाथों में हाथ लेकर
कहा करता था
जब भी हवाएं चलती है
तुम्हारी यादों के संग सिहरन सी होती है
शादी के बाद बीबी से इतनी कटखनी रिस्तेदारी क्यों चलती है सोचती हूँ अक्सर
सारा दिन क्योंकर तेज हवाएं चलती है
कविता
सारा दिन कविता लिखने कि कोशिश क्र रही हूँ
बस मेरी कविता पढ़के तुम सर मत पकड़ लेना
कविता है
सारा दिन तेज हवाए चलती है
पत्नी ने कहा
सुनो जी , सारा दिन तेज हवाएं चलती है
इस पर पति ने झुंझला के कहा
इसमें भी क्या मेरी गलती है
पत्नी सोचती है
क्या यंही वो शख्श है
जो, शादी के पहले हाथों में हाथ लेकर
कहा करता था
जब भी हवाएं चलती है
तुम्हारी यादों के संग सिहरन सी होती है
शादी के बाद बीबी से इतनी कटखनी रिस्तेदारी क्यों चलती है सोचती हूँ अक्सर
सारा दिन क्योंकर तेज हवाएं चलती है
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