Tuesday 17 December 2013

कविता
कविता 
सारा दिन कविता लिखने कि कोशिश क्र रही हूँ 
बस मेरी कविता पढ़के तुम सर मत पकड़ लेना 
कविता है 
सारा दिन तेज हवाए चलती है 
पत्नी ने कहा 
सुनो जी , सारा दिन तेज हवाएं चलती है 
इस पर पति ने झुंझला के कहा 
इसमें भी क्या मेरी गलती है 
पत्नी सोचती है 
क्या यंही वो शख्श है 
जो, शादी के पहले हाथों में हाथ लेकर 
कहा करता था 
जब भी हवाएं चलती है 
तुम्हारी यादों के संग सिहरन सी होती है 
शादी के बाद बीबी से इतनी कटखनी रिस्तेदारी क्यों चलती है सोचती हूँ अक्सर 
सारा दिन क्योंकर तेज हवाएं चलती है 

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