Friday 20 December 2013

 ये
ये जो निगाहों से तुम 
पैने पैने वार करती हो 
जिंदगी पर 
मौत का उधर धरती हो 
जिंदगी पर मौत का उधार धरती हो 
तुम्हारे रूप का रसपान करनेवालो के 
दिल का सुखचैन 
तुम कैसे मुस्कराकर हरति हो 
हरती हो 

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