पारिजात
पारिजात
ये जो तेरा
उन्मुक्त , उद्दात्त
प्रेम व्यापर है
प्रणय व्यापार है
सच, एक दिन मुझे
कंही का न रखेगा
वो हालत होगी
तेरी चाहत में कि
जमाना मुझपर
दिलखोलकर हंसेगा
ये कभी सच न हो
पारिजात
ये जो तेरा
उन्मुक्त , उद्दात्त
प्रेम व्यापर है
प्रणय व्यापार है
सच, एक दिन मुझे
कंही का न रखेगा
वो हालत होगी
तेरी चाहत में कि
जमाना मुझपर
दिलखोलकर हंसेगा
ये कभी सच न हो
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