Tuesday 31 December 2013

ये तेरा शोख चंचल शबाब 

बाकि कल लिखती हूँ 

आज आदाब 

Friday 27 December 2013

ये बिलकुल सच है कि मई अकारण ही ज्यादा बातें कह चुकी हूँ 

nav vadhu: कोई भीकोई भी बात हमेशा तो रस से भरी नही हो सकती ...

nav vadhu: कोई भी
कोई भी बात हमेशा तो रस से भरी नही हो सकती
...
: कोई भी कोई भी बात हमेशा तो रस से भरी नही हो सकती  एक ऐसा भी वक़त आता है कि कोई बात ही नही होती  तब, आप ये न सोचे कि बाते ख़त्म हो गयी है  ...
कोई भी
कोई भी बात हमेशा तो रस से भरी नही हो सकती 
एक ऐसा भी वक़त आता है कि कोई बात ही नही होती 
तब, आप ये न सोचे कि बाते ख़त्म हो गयी है 
ये समझे कि किसी नयी बात कि शुरुआत होने वाली है 

nav vadhu: बिना प्रेम के लोग जीते कैसे है जीने कि तो बात दूर...

nav vadhu: बिना प्रेम के लोग जीते कैसे है
जीने कि तो बात दूर...
: बिना प्रेम के लोग जीते कैसे है  जीने कि तो बात दूर  साँस कैसे ले लेते है  मई ये सोच के हैरान होती हूँ
हमेशा उत्सव के बाद होता है 
एक दिलफरेब मौन 
इसे हम सन्नाटा भी मानते है 
तब सोचते है कि 
कोई दिल के बहुत करीब रहे हमेशा 
                                                      
उसकी चितवन में थे कई मर्म कई भेद 
जो, उसने नही कहे किसी से और ओढ़ ली 
हमेशा चुनरी संग 
सल्लाज सी हंसी 
जो, उसने न किसी से कहा 
न चाहा कीकोई उसकी सुने 
इतनी मर्म-भेदी होती है 
उसकी दृष्टि 
जब वो, चुप सी कुछ सोचते हुए 
देखती है, कंही नही 

Thursday 26 December 2013

आजकल दिल बहुत बीजी है 
बहुत व्यस्त है , दिल 

Wednesday 25 December 2013


 नही पता 
क्यों आंखोसे 
इतने  आंसू आते है 
जब सुबह आँखे खुलती है 
तो, मेरी आँखे भीगी रहती है नही मालूम क्यों 
तेरे
तेरे रसीले नयना 
जवानी कि मस्ती में चूर 
कभी किसी पर नही रहम करती 
अपने रूप में रहती मगरूर 
जानेमन 
ये तुम्हारा पासवर्ड है 
या कोई महाकाव्य 
ये
ये शर्मीले नयन तुम्हारे 
और बांकी चंचल चितवन 
बातें तेरी रसीली 
तुम प्रीत का मधुब
ye तुम कहा जाती हो ये 
फूलों का गुच्छा हाथों में लिए 
और पीछे मूढ़ कर जब देखती हो 
आगे जाते हुए 
ये रशिली चितवन वाली 
सच मीठी  लगती है तुम्हारे 
तुम्हारे मुख से गाली 
 दिल दिल ऐसा किसी ने लुटा 
कि , उसी से हमे प्यार हो गया 
ये कैसी चली पुरवाई ,कि प्यार में जीना दुश्वार हो गया 

Tuesday 24 December 2013

किसी को चाहो तो 
उससे ढेर सारा प्यार मांग लो 
इसपर भी मन न भरे 
तो, थोडा सा उधर मांग लो 

Friday 20 December 2013

nav vadhu: चाहत में चाहत में हमेशा  तुम खुदगर्ज बन जाना  जिसे...

nav vadhu: चाहत में
चाहत में हमेशा
तुम खुदगर्ज बन जाना
जिसे...
: चाहत में चाहत में हमेशा  तुम खुदगर्ज बन जाना  जिसे चाहो  बीएस उसीसे  बॉस  बस उसीसे कुछ चाहना  जिसे नही चाहते  उससे क्यों मांगोगे  ...
चाहत में
चाहत में हमेशा 
तुम खुदगर्ज बन जाना 
जिसे चाहो 
बीएस उसीसे 
बॉस 
बस उसीसे कुछ चाहना 
जिसे नही चाहते 
उससे क्यों मांगोगे 
इशलिये, अपने 
प्यार पर हौसला रखो 
जंहा चाहो 
वंही पाने की कोशिश करो 
वंही, तुम्हे अख्तियार होगा 
कि, जिसे चाहो 
जंहा चाहो 
वंही तुम्हारा प्यार होगा 
पारिजात
पारिजात 
ये जो तेरा 
उन्मुक्त , उद्दात्त 
प्रेम व्यापर है 
प्रणय व्यापार है 
सच, एक दिन मुझे 
कंही का न रखेगा 
वो हालत होगी 
तेरी चाहत में कि 
जमाना मुझपर 
दिलखोलकर हंसेगा 
ये कभी सच न हो 

nav vadhu: तुम्हारा दिल तुम्हारा दिल जितना  इतना आसान नही था ...

nav vadhu: तुम्हारा दिल
तुम्हारा दिल जितना
इतना आसान नही था ...
: तुम्हारा दिल तुम्हारा दिल जितना  इतना आसान नही था  पर जित तो लिया  किन्तु, आखिर  जीत ही लिया  अब, ये न कहना कि  तुम्हारा दिल तुम्हार...
तुम्हारा दिल
तुम्हारा दिल जितना 
इतना आसान नही था 
पर जित तो लिया 
किन्तु, आखिर 
जीत ही लिया 
अब, ये न कहना कि 
तुम्हारा दिल तुम्हारे ही पास है 
सुनो
सुनो 
तुम्हे कोई फूल ,
कोई गुलाब नही भेजा 
क्योंकि 
तुमसे बढ़कर 
कोई, फूल क्या होगा 
एक, साथ , तुम्हारा 
मुझको प्यारा है 
किसी चमन में 
तुमसे प्यारा फूल क्या होगा 
सजती रहेगी , तुम्हारी हंसी 
लब पर 
खेलती कलियों कि तरह हंसी 
तुम्हे देखकर 
गुलशन को भी 
क्या कोई गुमान होगा 
हैरान होते है 
बाग़ के सभी फूल 
तुम्हे देखके 
तुम्हारी खूबसूरती का 
जलवा जब बिखर रहा होगा 

जोगेश्वरी सधीर 

nav vadhu: जब भी देखती हो जब भी मुस्कराकर देखती हो  सच दिल को...

nav vadhu: जब भी देखती हो
जब भी मुस्कराकर देखती हो
सच दिल को...
: जब भी देखती हो जब भी मुस्कराकर देखती हो  सच दिल को कलेजे से खिंच लेती हो  मृदुल मृदुल मुस्कान तुम्हारी  चटुल चटुल चितवन  प्यार ब्रिज ...
जब भी देखती हो
जब भी मुस्कराकर देखती हो 
सच दिल को कलेजे से खिंच लेती हो 

मृदुल मृदुल मुस्कान तुम्हारी 
चटुल चटुल चितवन 
प्यार ब्रिज का किशन कन्हैया 
तुम मीरा की मधुबन 

तुमसे रोज इतनी बातें कहने पर भी 
जाने क्यों लगता है कि 
कोई बात अधूरी रह गयी है 


मई
मै कविता लिखूं 
और तुम न मुस्कराओ 
ऐसा कभी हो नही सकता 
हो, भी तो 
मुझे नही होने देना है 
तुमसे
तुमसे इतनी बातें करने पर भी 
जेन 
जाने क्यों लगता है ,कि 
कोई बात अधूरी रह गयी है 
जानेमन
जानेमन 
जानेमन 
जानेमन 
ये तेरा पास्वोर्ड है या 
कोई महाकाव्य 
ये मृगनयनी
ये मृगनयनी 
तुझपर तो 
रातदिन कविता लिखूं तो भी मन नही भरता 

nav vadhu: एक वो दिन भी था  जब तुम चहकती  कूदती फिरती थी  सार...

nav vadhu: एक वो दिन भी था
जब तुम चहकती
कूदती फिरती थी
सार...
: एक वो दिन भी था  जब तुम चहकती  कूदती फिरती थी  सारे मोहल्ले भर में  हर और से  तुम्हारे नामके  पुकारे लगते थे  जिस और से  तुम गुजरती...

nav vadhu: एक वो दिन भी था  जब तुम चहकती  कूदती फिरती थी  सार...

nav vadhu: एक वो दिन भी था
जब तुम चहकती
कूदती फिरती थी
सार...
: एक वो दिन भी था  जब तुम चहकती  कूदती फिरती थी  सारे मोहल्ले भर में  हर और से  तुम्हारे नामके  पुकारे लगते थे  जिस और से  तुम गुजरती...

nav vadhu: ये ये  ये ये  ये रसभीनी बैटन वाली  बातों वाली  ये ...

nav vadhu: ये
ये
ये ये
ये रसभीनी बैटन वाली
बातों वाली
ये ...
: ये ये  ये ये  ये रसभीनी बैटन वाली  बातों वाली  ये मदमस्त निगाहों वाली  बिखरने लगी है  तेरे अधरों व् कपोलों पर लाली  कि, जिन्हे देखक...
ये
ये 
ये ये 
ये रसभीनी बैटन वाली 
बातों वाली 
ये मदमस्त निगाहों वाली 
बिखरने लगी है 
तेरे अधरों व् कपोलों पर लाली 
कि, जिन्हे देखकर 
देखनेवालों की 
नज़रें भी हो गयी है 
मतवाली 
ये लजीली चितवन वाली 
भली लगती है 
तेरे अधरों कि लाली 
ये गुलाबी कपोलों वाली 
ये मधुर बोलो वाली 
जब तू शर्मा के मुस्कराती है 
तो, कौन तेरे गोर गोर 
गोरे गोर गलों पर 
गुलाल मलता है 
आजकल, तो तुझपर कविता करने का ही रातदिन मन करता है 

nav vadhu:  ये ये जो निगाहों से तुम  पैने पैने वार करती हो  ज...

nav vadhu:  ये
ये जो निगाहों से तुम
पैने पैने वार करती हो
ज...
:  ये ये जो निगाहों से तुम  पैने पैने वार करती हो  जिंदगी पर  मौत का उधर धरती हो  जिंदगी पर मौत का उधार धरती हो  तुम्हारे रूप का रसपान ...
 ये
ये जो निगाहों से तुम 
पैने पैने वार करती हो 
जिंदगी पर 
मौत का उधर धरती हो 
जिंदगी पर मौत का उधार धरती हो 
तुम्हारे रूप का रसपान करनेवालो के 
दिल का सुखचैन 
तुम कैसे मुस्कराकर हरति हो 
हरती हो 

nav vadhu: कटरा कतरा कटरा  कतरा कतरा दिल मेरा लेकर  वो तेरा इ...

nav vadhu: कटरा
कतरा कटरा
कतरा कतरा दिल मेरा लेकर
वो तेरा इ...
: कटरा कतरा कटरा  कतरा कतरा दिल मेरा लेकर  वो तेरा इतराके निकल जाना  जाना जन ले लेगा  जाना जान ले लेगा  किसी दिन मेरी  तेरा यूँ मुस्कर...
कटरा
कतरा कटरा 
कतरा कतरा दिल मेरा लेकर 
वो तेरा इतराके निकल जाना 
जाना जन ले लेगा 
जाना जान ले लेगा 
किसी दिन मेरी 
तेरा यूँ मुस्कराके निकल जाना 

Wednesday 18 December 2013

ए रस-नयना 
तुम्हारी रसीली चितवन से 
जो देखने वालों पर 
रस बरसता है 
जितना बरसता है 
मन उतना ही सरसता है 

ये जो निगाहों से
ये जो तुम निगाहों से 
पैने पैने वार  करती हो 
जिंदगी पर 
मौत उधर धरती हो 
तुम्हारे रूप का रसपान 
करनेवालों का 
सुखचैन 
तुम कैसे 
मुस्कराकर हरति हो 

जो तुम्हे देखे 
दिल उसका मचले नही 
ऐसा हो नही सकता 
ए रस भरी बैटन वाली 
ए रस भरी बातों वाली 
बिखरने लगी है 
जबसे , तेरे अधरों और 
कपोलों पर लाली 
देखनेवालों की 
नज़रें भी हो गयी है 
तबसे मतवाली 

nav vadhu: एक वो दिन भी था जब तुम चहकती कूदती फिरती थी सार...

nav vadhu: एक वो दिन भी था
जब तुम चहकती
कूदती फिरती थी
सार...
: एक वो दिन भी था  जब तुम चहकती  कूदती फिरती थी  सारे मोहल्ले भर में  हर और से  तुम्हारे नामके  पुकारे लगते थे  जिस और से  तुम गुजरती...

nav vadhu: एक वो दिन भी था जब तुम चहकती कूदती फिरती थी सार...

nav vadhu: एक वो दिन भी था
जब तुम चहकती
कूदती फिरती थी
सार...
: एक वो दिन भी था  जब तुम चहकती  कूदती फिरती थी  सारे मोहल्ले भर में  हर और से  तुम्हारे नामके  पुकारे लगते थे  जिस और से  तुम गुजरती...
एक वो दिन भी था 
जब तुम चहकती 
कूदती फिरती थी 
सारे मोहल्ले भर में 
हर और से 
तुम्हारे नामके 
पुकारे लगते थे 
जिस और से 
तुम गुजरती थी 
जैसे सर सर हवाओं के झोंके 
सर पर से निकल जाए 
ऐसे दुप्पट्टा लहराते 
बल खाते तुम जाती
गली के जिस मोड़ पर 
तुम थम जाती 
वंही सहेलियों का हुजूम भी 
ठहर जाता 
ए, रसीली नयना 
तुम्हारी मीठी मधुर 
रसभीनी रसबतिया 
कि फुहारों से 
सखियों का दिल भीग 
भीग जाता 
ए मृगनयनी 
फिर वो दिन भी आया 
जब बागों में 
खिली कलियों पर 
तुम्हारे रूप रंग का ही 
खुमार छाया नज़र आने लगा 
तुम कितनी मधुर 
और सुघर लगती रही 
और जब तुम 
सखियों संग 
गलियों से गुजरती 
हंसती विहँसती 
तो, जैसे राहें भी धमकती 
ये कमनीय कामिनी 
तुम्हारे रूप का सागर 
जब उमड़ने लगा 
उफनते समुद्र का ज्वार 
महसूस होने लगा 
जब तुम्हारे कपोलों पर 
दुधीलि रसभरी 
कच्ची कलियाँ चटकने लगी 
और तुम्हारे वस्त्रों से 
जानलेवा उभार झलकने लगा 
तुम तब 
बेपर कि परी लगने लगी 
तुम ठहरकर तब 
क्या सोचती होगी 
जब , खुद को शीशे में 
निरखकर , मौन होकर 
मुस्कराती हो 
और सबकी आँखों में 
तुम्हारा रूप चौंधिया जाता 
ये चांदनी रातों का 
सुरूर जगाने वाली 
तुम्हे देखने वालों की 
अआँखों कि नींद जब 
रूठ जाती है 
तब भी तुम 
भोरी भोरी 
फिरा करती हो 
ए ,बिल्लोरी आँखों वाली 
रस-नयना 
तुम्हारी मदहोश नज़र पर  
जब आशिकों के दिल 
लट्टू हो जाते है 
तब भी तुम 
दुप्पट्टे को बेख्याली में 
नटखट मुस्कान के साथ 
कन्धों पर झालकाकर 
दिल खिंच लिया करती हो 
सब कुछ जानकर 
अनजान बनने वाली 
ए नीरज नयना 
अनचिन्हों का दिल भी 
तुमने सहज में खिंचा था 
जब अपने साइन पर 
मुठ्ठियों में 
तुमने दुप्पट्टा भींचा था 
तुम कितनी सुन्दर हो 
कटीली चितवन से 
बूझो तो 
कि, आज भी जो 
धमक धमककर 
तेज तेज चलकर 
लड़कों के झुण्ड के सामने से 
बचकर निकलती हो 
सच तुम्हारे यौवन कि सौगंध 
तुम्हारी समस्त मांसलता 
देखने वालों कि 
आँखों में 
इठला इठलाकर 
उतरती है 
जोगेश्वरी सधीर कि लम्बी कविता 

Tuesday 17 December 2013

कविता
कविता 
सारा दिन कविता लिखने कि कोशिश क्र रही हूँ 
बस मेरी कविता पढ़के तुम सर मत पकड़ लेना 
कविता है 
सारा दिन तेज हवाए चलती है 
पत्नी ने कहा 
सुनो जी , सारा दिन तेज हवाएं चलती है 
इस पर पति ने झुंझला के कहा 
इसमें भी क्या मेरी गलती है 
पत्नी सोचती है 
क्या यंही वो शख्श है 
जो, शादी के पहले हाथों में हाथ लेकर 
कहा करता था 
जब भी हवाएं चलती है 
तुम्हारी यादों के संग सिहरन सी होती है 
शादी के बाद बीबी से इतनी कटखनी रिस्तेदारी क्यों चलती है सोचती हूँ अक्सर 
सारा दिन क्योंकर तेज हवाएं चलती है 
ओ पिया 
जलाके तुमने दिया 
जीवन से लौ लगा दी 
जीवन कि ज्योत जगा दी 
ओ पिया 
जलाके तुमने दिया 
मुझे जीने को मजबूर क्र दिया 

Saturday 14 December 2013

ये
ए चंचल सौदामिनी 
तेरी चितवन ऐसी 
कि लगता है 
सागर में नाव के मस्तूल 
छूट गये है 
ये कच्ची कविता है 
तेरे चन्दन जैसे रंग के नाम 
जब भी तुम्हारी बात निकलेगी 
सब यंही कहेंगे 
तुमने कितने अहसान किये है 
मुझपर 
मुस्कराकर 
और फिर उन्हें भुलाकर 
ये
ये जो हवाएं तेज तेज चलती है 
और बेख्याली में ही 
दिन ढल जाता है 
रात  भर जागकर 
तुझे याद करने के बाद 
पता चला कि 
मै तेरे प्यार में हूँ 
सोच नही सकती 
रह नही सकती 
जी नही सकती 
प्रेम के बिना 
भी है, कोई जीना 

Friday 13 December 2013

प्रेम का कोई विकल्प नही है 
प्रेम के बिना जीने का कोई अर्थ नही है 
बिना प्रेम के लोग जीते कैसे है 
जीने कि तो बात दूर 
साँस कैसे ले लेते है 
मई ये सोच के हैरान होती हूँ 
 जिन्दा या मुर्दा कोई सवाल नही 
सिर्फ , इतना कहो, कि 
प्यार है कि नही 
कल चाहेंगे या नही 
ये मत सोचो 
बस इतना कहो 
प्यार है कि, नही 
एक
एक तेरे बिना कोई बात नही 
जो तू न मिले तो मुलाकात नही 
तू कहे नही तो दिन नही , रात नही 
आलिंगन को अतृप्ति कि सौगात सही 
हमेशा 
हमेशा  अधूरी सी मिलकत रही 
हमेशा अधूरी मुलाकात रही 
अतृप्त आलिंगनों में जगती रात रही 
ये अतृप्त  आलिंगनों कि रात है 
याद आ जाती जब तुम्हारी बात है 
कटती कंहा तब जाड़ों कि रात है 
तुमसे हुयी पहली मुलाकात है 

Thursday 12 December 2013

आजकल अक्सर हवाएं चंचल होकर बहती है 
सोनू बहुत कम बोलता है 
वो, ये भी  चाहता कि कोई 
उसके सामने ज्यादा बोले 

Monday 9 December 2013

ए , तेरी हर अदा ,
जैसे शरद कि रातों कि 
सौगात है 

Saturday 7 December 2013

यदि आपकी आँखे हमेशा उदाश हो 
तो कोशिश करो कि , आप 
हमेशा ह्रदय से खुश रहने कि 
इससे आँखों कि उदाशी दूर होगी 
आप अपनी आँखों से पूछो 

आप अपनी आँखों से पूछो 
कि, वो कंहा और क्या ढूंढ़ती रहती है 

Friday 6 December 2013

जेन 
जाने मन 
तुझमे ही क्यों 
उलझा रहता है 
मेरा मन 
ये 
तू ही बता 
क्या जादू करती हो 
या ,सम्मोहन 

Thursday 5 December 2013

क्यों आती हो , इतना याद 
कि तुम्हारी याद के बाद 
फिर कुछ नही रहता याद 
तुम्हारे बिना कुछ भी नही  है , कंही 
तुम हो तो,सबकुछ अच्छा लगता है 
नही पता इस फरेबी दुनिया में 
तुम जैसी भोली भली कैसे रहती हो 
मेरी प्यार 
तुमने मेरे प्यार को 
बहुत अच्छी तरह सम्भाला है 

Tuesday 3 December 2013

बहुत अच्छी लगती हो 
जणू जानु जानु जानु जानू जानू 
एक 
एक तेरे आ जाने से 
जिंदगी इतनी हसीं कैसे हो गयी 
ये आजतक नही समझा 
तुम्हारे होने भर से 
जिंदगी होने का अर्थ है 
तुम अच्छी लगती हो 
क्यों लगती हो  इसका तो कुछ पता ही नही 
जानने कि कोशिश ही नही कि 
कि  तुम क्यों अच्छी लगती हो 

Monday 2 December 2013

तेरे 

तेरे बिन जिंदगी , इतनी आसान तो नही थी 
मुसीबतें तो थी, तेरी मुस्कान संग न थी