आज प्रात से
जब हवाएं घूम रही है
दिशाओं में अकुलाई सी
में नींद में लगती हो
विहंसती कुनमुनाई सी
ओ , हंसनी
तुम्हारे मुग्ध करने वाले
नैन बाण ,निरखकर
मोहित हुए है
मेरे प्राण
जब हवाएं घूम रही है
दिशाओं में अकुलाई सी
में नींद में लगती हो
विहंसती कुनमुनाई सी
ओ , हंसनी
तुम्हारे मुग्ध करने वाले
नैन बाण ,निरखकर
मोहित हुए है
मेरे प्राण
No comments:
Post a Comment