Saturday 24 August 2013

nav-vadhu

नववधू
चांदनी रात में
झिलमिलाते तारे ही
या,मेरी आँखों में
झिलमिलाते आंसू ही
तुझसे जुदाई के ,
सोचके न होना
तुम उदाश
क्योंकि
मेरी निश्ताब्ध निशाओं में
मेरे घर आकर
तुम्हारे जलाये दीयों का
कभी न मद्धिम होगा
जगमगाता प्रकाश
जाओ तुम अब
ख़ुशी ख़ुशी
अपनी घर की देहरी पर
दीप जलाना , और
अपनी दिलकश
मुस्कराहटों से
अपने सजन की
रातों को सजनो
अपने घर को
अपने प्यार से महकाना
जोगेश्वरी 

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