नववधू
चांदनी रात में
झिलमिलाते तारे ही
या,मेरी आँखों में
झिलमिलाते आंसू ही
तुझसे जुदाई के ,
सोचके न होना
तुम उदाश
क्योंकि
मेरी निश्ताब्ध निशाओं में
मेरे घर आकर
तुम्हारे जलाये दीयों का
कभी न मद्धिम होगा
जगमगाता प्रकाश
जाओ तुम अब
ख़ुशी ख़ुशी
अपनी घर की देहरी पर
दीप जलाना , और
अपनी दिलकश
मुस्कराहटों से
अपने सजन की
रातों को सजनो
अपने घर को
अपने प्यार से महकाना
जोगेश्वरी
चांदनी रात में
झिलमिलाते तारे ही
या,मेरी आँखों में
झिलमिलाते आंसू ही
तुझसे जुदाई के ,
सोचके न होना
तुम उदाश
क्योंकि
मेरी निश्ताब्ध निशाओं में
मेरे घर आकर
तुम्हारे जलाये दीयों का
कभी न मद्धिम होगा
जगमगाता प्रकाश
जाओ तुम अब
ख़ुशी ख़ुशी
अपनी घर की देहरी पर
दीप जलाना , और
अपनी दिलकश
मुस्कराहटों से
अपने सजन की
रातों को सजनो
अपने घर को
अपने प्यार से महकाना
जोगेश्वरी
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