Thursday 29 August 2013

tera nikhar

ये जो , अविराम
अभिसार से उपजा
तेरा श्लथ निखर

ये जो तुम
धीमे से हंसकर
हौले से बोलती हो
जैसे मिश्री सा
मेरे जीवन में
रस घोलती हो 

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