ढलती साँझ में
थपकी देती हवाएं
डूबते सूरज संग
सिहरती घटाएं
वो, कौन सा दिन था
जो, तेरे ख्याल बिता
बेगानी सी लगती है
अब निररुद्देश निशायें
थपकी देती हवाएं
डूबते सूरज संग
सिहरती घटाएं
वो, कौन सा दिन था
जो, तेरे ख्याल बिता
बेगानी सी लगती है
अब निररुद्देश निशायें
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