kavita likhne jaruri nhi ki, aap bndhi bndhayi lik pr chale
यदि, मै कोई तुकबन्दी करूं , तो उसे कविता नही कह सकते
कविता पहले आप कोई माहौल को याद कीजिये
फिर उसे कागज के हवाले कीजिये
वैसे कविता तो ह्रदय से स्वत ही निकलती है
आप जब अपनी कविता खुद ही लिखेगे , तो आपको बेहद ख़ुशी होगी
जैसे , रात हो,
सावन की जिन्गुरों से गुंजित रात हो
आसमान में चंद्रमा चमक रहा हो
रात इसी महसूस हो रही हो
जैसे की, वो खामोश सी कोई कविता है
आपका दिल क्या महसूस करता है
ये लिखिए , कोई उपमा या उपमान
या कोई बिम्ब सूझे, तो रात को वो नाम दीजिये
जैसे रात को आप एक इसी रहस्यमयी सुन्दरी कह सकते है
जिसने चांदनी के सितारों वाली ओढनी ओढ़ी हो , और अपने प्रियतम
चंद्रमा से मिलने चली हो
आप सावन के महीने में लिख रहे है , तो उसकी विशेषता लिखे
कैसे जुगनुओं को चमकते देख रहे है, जो अपनी चमक से अँधेरे को भीमात दे रहे हो
(नही लिख सकती, बहुत शोर हो रहा है )
यदि, मै कोई तुकबन्दी करूं , तो उसे कविता नही कह सकते
कविता पहले आप कोई माहौल को याद कीजिये
फिर उसे कागज के हवाले कीजिये
वैसे कविता तो ह्रदय से स्वत ही निकलती है
आप जब अपनी कविता खुद ही लिखेगे , तो आपको बेहद ख़ुशी होगी
जैसे , रात हो,
सावन की जिन्गुरों से गुंजित रात हो
आसमान में चंद्रमा चमक रहा हो
रात इसी महसूस हो रही हो
जैसे की, वो खामोश सी कोई कविता है
आपका दिल क्या महसूस करता है
ये लिखिए , कोई उपमा या उपमान
या कोई बिम्ब सूझे, तो रात को वो नाम दीजिये
जैसे रात को आप एक इसी रहस्यमयी सुन्दरी कह सकते है
जिसने चांदनी के सितारों वाली ओढनी ओढ़ी हो , और अपने प्रियतम
चंद्रमा से मिलने चली हो
आप सावन के महीने में लिख रहे है , तो उसकी विशेषता लिखे
कैसे जुगनुओं को चमकते देख रहे है, जो अपनी चमक से अँधेरे को भीमात दे रहे हो
(नही लिख सकती, बहुत शोर हो रहा है )
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