nav vadhu
Wednesday 28 August 2013
siskiyon ke bich
सिसकियों के बीच
जो, तुम्हारे आंसू
मैंने डिब्बी में सम्भालकर
रख लिए थे
कुछ दिनों बाद देखा
तुम्हारे वो आंसू
अनमोल मोती बन थे
सच pear
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