और सुनो
वो आई इस तरह , जैसे मंडवे में कलश
बना रहे बनारस
मंडवे से मतलब है , जो विवाह में मंडप डाला जाता है , उसमे सुहागिन , आती है , नेग में कलश लेकर , वो भी दुल्हिन से कम नही सजी होती
दूसरा है
वो आई इस तरह , जैसे चौक पर कलश
बना रहे बनारस
चौक, वो रंगोली है , जिसे वधु के बैठने के लिए , बनाया , या पूरा जाता है
हमारे गांवों में इस चौक को एक कमल के यंत्र की तरह बनाते है , मंडवे में बहुत सी सुहागिनें चौक बनाती है , जो की बहुत ही रंगों भरा सुंदर चित्रांकन होता है
गांवों की इस लोककला को सहेजने की जरुरत है
वो आई इस तरह , जैसे मंडवे में कलश
बना रहे बनारस
मंडवे से मतलब है , जो विवाह में मंडप डाला जाता है , उसमे सुहागिन , आती है , नेग में कलश लेकर , वो भी दुल्हिन से कम नही सजी होती
दूसरा है
वो आई इस तरह , जैसे चौक पर कलश
बना रहे बनारस
चौक, वो रंगोली है , जिसे वधु के बैठने के लिए , बनाया , या पूरा जाता है
हमारे गांवों में इस चौक को एक कमल के यंत्र की तरह बनाते है , मंडवे में बहुत सी सुहागिनें चौक बनाती है , जो की बहुत ही रंगों भरा सुंदर चित्रांकन होता है
गांवों की इस लोककला को सहेजने की जरुरत है
No comments:
Post a Comment