हे सुमुखी रूप तेरा
चांदनी से धुला धुला
शरद की पूर्णिमा में
जैसे चंद्रमा उजला
उर्वशी रूप तुम्हारा
जंवा -कुसुम सा जगा जगा
जिसने भी देख लिया
रह गया ठगा ठगा
अषाढ़ की रातों में
जुगनुओं की आंख -मिचौली
इसे में मधुर लगती
म्रदु-भाषणी तुम्हारी बोली
बादलों संग बिजली का
सावन में चल रहा विहार
सुन्दरी तेरे आंचल में सजे
प्रणय के प्रेमोपहार
अनुराग-पगा तेरी चितवन
करती भावों का संचार
लाज से ढके मूंदे
युअवन के प्रेमोपहार
जोगेश्वरी
चांदनी से धुला धुला
शरद की पूर्णिमा में
जैसे चंद्रमा उजला
उर्वशी रूप तुम्हारा
जंवा -कुसुम सा जगा जगा
जिसने भी देख लिया
रह गया ठगा ठगा
अषाढ़ की रातों में
जुगनुओं की आंख -मिचौली
इसे में मधुर लगती
म्रदु-भाषणी तुम्हारी बोली
बादलों संग बिजली का
सावन में चल रहा विहार
सुन्दरी तेरे आंचल में सजे
प्रणय के प्रेमोपहार
अनुराग-पगा तेरी चितवन
करती भावों का संचार
लाज से ढके मूंदे
युअवन के प्रेमोपहार
जोगेश्वरी
ydi meri kavita read nhi ki jati, to mai kyon likhu
ReplyDeleteyauvan means, u a one
ReplyDeleteangreji anuvad pyara h
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