घर के तुम्हारे
साझ सम्भार में
छिपा है , कितना
तुम्हारा प्यार
तेरे ये साँझ संवार
घर के कोने कोने को
देते है , आत्मीय दुलार
उत्कंठा से ,तुम्हारा
वो करना सबका सत्कार
जिसमे छिपा होता है
तेरा मनुहार
ये तेरे प्यार से सजा
निखरा , सुशोभित संसार
कंही किसी की मलिन दृष्टी
से न हो , कोई व्यवहार
साझ सम्भार में
छिपा है , कितना
तुम्हारा प्यार
तेरे ये साँझ संवार
घर के कोने कोने को
देते है , आत्मीय दुलार
उत्कंठा से ,तुम्हारा
वो करना सबका सत्कार
जिसमे छिपा होता है
तेरा मनुहार
ये तेरे प्यार से सजा
निखरा , सुशोभित संसार
कंही किसी की मलिन दृष्टी
से न हो , कोई व्यवहार
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