अधूरी कविता , कल पूरी की
ये किसकी यादों ने
ली, दिल में अंगडाई
कि , तुम्हारी आँखों से
झलक पड़ा है ,यौवन
गुनगुना उठी है दिशाए
महकने लगे है ,वन-उपवन
ये किसकी परछाई
कसमसाई नैनों की झील में
लगता है ,जैसे सरोवर में
उतरा रहे है कमल
ये किसके अधरों ने किया है
आलिंगन का अनुवाद
कि ,आसमान तक
लहरा रहा है , तुम्हारा आँचल
वो,पहाड़ों पर छा रही है
घटाएं काली -मतवाली
लगता है ,जैसे आँखों में
आंज लिया है ,तुमने काजल
जोगेश्वरी
ये किसकी यादों ने
ली, दिल में अंगडाई
कि , तुम्हारी आँखों से
झलक पड़ा है ,यौवन
गुनगुना उठी है दिशाए
महकने लगे है ,वन-उपवन
ये किसकी परछाई
कसमसाई नैनों की झील में
लगता है ,जैसे सरोवर में
उतरा रहे है कमल
ये किसके अधरों ने किया है
आलिंगन का अनुवाद
कि ,आसमान तक
लहरा रहा है , तुम्हारा आँचल
वो,पहाड़ों पर छा रही है
घटाएं काली -मतवाली
लगता है ,जैसे आँखों में
आंज लिया है ,तुमने काजल
जोगेश्वरी
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