फिर चांदनी रात में
वन्ही तन्हाई होगी
वन्ही उबशियाँ होगी
डूबी होगी रात
अपने ही आगोश में
वन्ही अलमस्त
फिजायें होगी बदहवाश
बस हम तुम जुदा जुदा होंगे
कुछ भी तो
नही बदला होगा
पहले से अलग
२। …….
चांदनी ने लिखी होगी
तुम्हारे गोर मुख पर
जुदाई की बातें
आँखों की कोरों से
सब्नम की तरह
अनकहे , आंसू बह जाते
वन्ही तन्हाई होगी
वन्ही उबशियाँ होगी
डूबी होगी रात
अपने ही आगोश में
वन्ही अलमस्त
फिजायें होगी बदहवाश
बस हम तुम जुदा जुदा होंगे
कुछ भी तो
नही बदला होगा
पहले से अलग
२। …….
चांदनी ने लिखी होगी
तुम्हारे गोर मुख पर
जुदाई की बातें
आँखों की कोरों से
सब्नम की तरह
अनकहे , आंसू बह जाते
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