हे उमगा
लगती है ,तू
निश्ताब्ध निशा में
खुमार जगा जगा
२
मधुर मधुर हंसी तुम्हारी
अरुण अरुण , तुम्हारे कपोल
नैनों में तेरे , विहंसते फूल
प्रिय लगते , तुम्हारे मीठे बोल
आगमन से तुम्हारे , नदियों में कल्लोल
(कल्लोल -कल कल )
ह्रदय में उठी है , ये कैसी हिलोर
सजनी तो सीधी है
पर नैन उसके बरजोर
जोगेश्वरी
लगती है ,तू
निश्ताब्ध निशा में
खुमार जगा जगा
२
मधुर मधुर हंसी तुम्हारी
अरुण अरुण , तुम्हारे कपोल
नैनों में तेरे , विहंसते फूल
प्रिय लगते , तुम्हारे मीठे बोल
आगमन से तुम्हारे , नदियों में कल्लोल
(कल्लोल -कल कल )
ह्रदय में उठी है , ये कैसी हिलोर
सजनी तो सीधी है
पर नैन उसके बरजोर
जोगेश्वरी
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